|
सावन देस
हमारे |
|
तुम्हारी छत के ऊपर
जब कोई बादल बरसता है
कि पहली बूँद पीने को
कहीं चातक तरसता है
कि झूले झूलता सावन
मिलन के गीत गाता है
तो मेरे दिल का हर कोना
तुम्हें वापस बुलाता है
फिर से सावन देस हमारे
बरसा होगा आज
फिर मुझसे मिलने को बाबुल
तरसा होगा आज
झूले खाली-खाली होंगे
बगिया सूनी-सूनी
आँगन सूना घर भी अब न
घर सा होगा आज
टिप-टिप बूँदें बरसी होंगी
तीजों का त्यौहार
बिना हमारे दिल न किसी का
हरसा होगा आज
राखी गई मेल से होगी
जब भाई के पास
मुझे देखने को वो कितना
तरसा होगा आज
बाबा भी चुप-चुप से होंगे
बहना कहीं उदास
नम आँखों से माँ ने खाना
परसा होगा आज
- रेखा राजवंशी
|
|
इस माह
सावन के झूलों के साथ
सम्पन्न
अंतरराष्ट्रीय वेबीनार विशेषांक
अमेरिका से-
भारत से-
आस्ट्रेलिया
से-
कैनेडा से-
सिंगापुर
से-
संयुक्त अरब
इमारात से-
| |