मेघ छाए हुए हैं

मेघ छाये हुए हैं
है बरसने को घटा घनघोर

हवा ने करवट बदली
झूम उठे भँवरे खिली कलियाँ
उड़े पत्ते जो मन के
खोज रहे कुछ अक्स कुछ गलियाँ
चांद उतरा ज़मी पर
मच रहा है शोर चारों ओर
मेघ छाये हुए हैं...

अलगनी पर पसरे हैं
मन के कुछ भीगे हुए कपड़े
घुँघरुओं की आहट है
जाग उठे मन के सोये सपने
महक सोंधी सी आये
झूम उठे खुश होकर ये मनमोर
मेघ छाये हुए हैं...

साँसें दोहरा रही हैं
प्रीत के वो कुछ अनूठे क्षण
देह सकुचा रही है
इंद्रधनुषी रंग रंगा है मन
बादलों की गर्जन संग
मच रहा है भीतर-भीतर शोर
मेघ छाये हुए हैं...

- ममता किरण
९ अगस्त २०२०

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