विरह के पल

सपनों में बातें करना, ख़्वाबों में तुमको पाना
यादों से ही सीख लिया, भोले
दिल को बहलाना


जागी-जागी रतियाँ गुज़री, तारों से बातें करते
थोड़ा सा उम्मीद में जीते, थोड़ा-थोड़ा हम मरते
न आते हो मिलने तुम, न कोई खबरिया आती है
तारों से कह दी वो बातें, जो थी
तुमको बतलाना


बहुत दिनों के बाद, सपने में तुमको फिर पाया है
तकिये को हमने फिर, सीने से अपने लगाया है
बहुत प्यारी सी बातें है, कितनी छोटी रातें हैं
इस भोली नाज़ुक लड़की को, सपने से नहीं जगाना
आओ अगर तो कानों मेंहौले से
कुछ कह जाना

- श्रद्धा जैन

९ अगस्त २०२०

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