चम्पा से
सट-सट के
महका सा भीत
सीले से आँगन में बिखराया पीत
खेती पथारी से
सौ दुनियादारी से
बाबा के डेंगु तक
बा की बीमारी से
माँ को भी बिसराया बचपन का गीत
सावन यों फूटा है
देवा ज्यों रूठा है
पानी में तिरता सा
चम्पा का बूटा है
गाँठों का मारा है राहत का फीत
निर्धन की थाली पे
गेंहू की बाली पे
फैली हथेली सम
चम्पा सवाली पे
अगहन मेहरबाँ ना राजी है सीत
सीले से आँगन में बिखराया पीत
- शार्दुला नोगजा
९ अगस्त २०२० |