वर्षा की
नन्हीं बूदों ने दस्तक दी जब द्वार पर
मैंने भी खिड़कियाँ खोल दीं
इस मोहक मनुहार पर
कब से तुझको बुला रही हूँ, रिमझिम गाने सुना रही हूँ
मुझ पर कविताएँ रचती हो, भीग न जाऊँ, पर डरती हो
हैरां हूँ इस प्यार पर
खिड़की-छोड़ो-बाहर-आओ,
मिलकर-मेरे-साथ-में-गाओ
ता-ता थैया, ता-ता थैया, कागज की छोटी-सी नैया
तैराएँ तैयार कर
फिर बचपन को दोहराएँगे, पानी की धुन पर गाएँगे
भीगेंगे हम दोनों मिलकर, छप-छप कर पानी के ऊपर
झूमें राग मल्हार पर
याद-आ-गए-बचपन-के-दिन,-निकल-पड़ी-घर-से-छतरी-बिन
भूलभाल कर उम्र की सीमा, वर्षा में मन जी भर भीगा
सावन के इसरार पर
वर्षा की नन्हीं बूदों ने दस्तक दी जब द्वार पर
मैंने भी खिड़कियाँ खोल दीं
इस मोहक मनुहार पर
- अलका
सिन्हा
९ अगस्त २०२०