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                -आतप
                -विरक्ति

 

हम शत्रु नहीं होना चाहते धे

हम एक-दूसरे से परिचित थे
कुछ औपचारिक और
मतलब भर की बातें करते थे
कभी- कभार हँसी मजाक भी

इस परिचय को
यों सतही तौर पर मित्रता कह लेते थे
यद्यपि हम एक-दूसरे के बारे में
कोई गहरी समझ नहीं रखते थे

न हम एक-दूसरे के बारे में
अधिक जानते ही थे
हम मित्र नहीं थे
हमें एक-दूसरे की सहायता की कभी
जरूरत नहीं पड़ी

हमने एक-दूसरे के खिलाफ
कभी कोई बात नहीं की
और एक दिन
जब एक को लगा दूसरा उसका मित्र बन गया है
दूसरे ने भी कुछ ऐसा ही प्रकट किया

अगले ही क्षण वे अलग-अलग
दिशाओं मे प्रस्थान कर गए
वे यानि कि हम
मित्र नहीं थे और
हम एक-दूसरे के शत्रु नहीं होना चाहते थे

१ फरवरी २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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