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अनुभूति में शैलेन्द्र चौहान की
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जघन्यतम
लोअर परेल

कविताओं में-
आषाढ़ बीतने पर
एक घटना
एक वृत्तचित्र: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर
क्या हम नहीं कर सकते कुछ भी
कोंडबा
चिड़िया और कवि
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तबादला
थार का जीवट
पतंग आकाश में
भद्रावती
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लैंडस्केप
शब्द नहीं झरते
स्त्री प्रश्न
सुबह के भूले

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-मरुधरा
                -आतप
                -विरक्ति

  लैंडस्केप

हाशिये पर
लिखे शब्द
अचानक
उछलकर
हो गए हैं बाहर
पृष्ठ से

कैनवास
सांध्य बेला की तरह
है उदास

छिटक गए हैं रंग
लैंडस्केप पर
बेढंगे

फिर भी नहीं है
कहीं कुछ
अप्राकृतिक
अस्वाभाविक

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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