| अनुभूति में 
                    अजंता शर्मा की रचनाएँ नई कविताएँ-आओ जन्मदिन मनाएँ
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 व्यर्थ विषय
 |  | उत्प्रेरक मेरी मुट्ठी का सागरसींच सकता है किसी का जीवन मरु,
 हाँ!
 अब तुम मेरे पास हो,
 कदमों का संबल हो तुम,
 शब्दों की सार्थकता हो,
 क्षण-क्षण का मापदंड तुम,
 मेरे कंठ की गुणवत्ता हो तुम,
 हाथों की लकीरें प्रवाहित हैं तुम्हीं से
 तुम्हीं हो
 जो विचारों के क्षितिज तक
 समाहित है मुझमें।
 २ अक्तूबर २००४ |