| अनुभूति में 
                    अजंता शर्मा की रचनाएँ नई कविताएँ-आओ जन्मदिन मनाएँ
 ढूँढती हूँ
 मेरी दुनिया
 
 कविताओं में-
 तीन हाइकू
 जाने कौन-सी सीता रोई
 ज़िंदगी
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 अस्तित्व
 उत्प्रेरक
 कौतूहल
 जमाव
 दो छोटी कविताएँ
 पहली बारिश
 प्रतीक्षा
 प्रवाह
 व्यर्थ विषय
 |  | कौतूहल  गर तुम्हारी हथेलियों से मैं अपना चेहरा
 ढाँप लूँ तो क्या होगा?
 छू हो जाएगी
 एक ललक,
 तुम्हें करीने से उधेड़ने की
 तुम्हें पाने की
 तुम्हारे स्पर्श की आँच में पिघलेगी मेरी उत्तेजना,
 और
 बह जाऊँगी मैं
 क्रमश: हीन-क्षीण हो
 फिर तुम भी कहीं खड़े होंगे,
 प्रश्न के मंच से उतरकर,
 उत्तर के बाह्य द्वार पर।
 ९ अगस्त २००३ |