| अनुभूति में 
                    अजंता शर्मा की रचनाएँ नई कविताएँ-आओ जन्मदिन मनाएँ
 ढूँढती हूँ
 मेरी दुनिया
 
 कविताओं में-
 तीन हाइकू
 जाने कौन-सी सीता रोई
 ज़िंदगी
 दूरियाँ
 अनुरोध
 अस्तित्व
 उत्प्रेरक
 कौतूहल
 जमाव
 दो छोटी कविताएँ
 पहली बारिश
 प्रतीक्षा
 प्रवाह
 व्यर्थ विषय
 |  | अनुरोध हे बादल!अब मेरे आँचल मे तृणों की लहराई डार नहीं,
 न है तुम्हारे स्वागत के लिए
 ढेरों मुसकाते रंग
 मेरा जिस्म
 ईंट और पत्थरों के बोझ तले
 दबा है।
 उस तमतमाए सूरज से भागकर
 जो उबलते इंसान इन छतों के नीचे पका करते हैं
 तुम नहीं जानते
 कि एक तुम ही हो
 जिसके मृदु फुहार की आस रहती है इन्हें
 बादल! तुम बरस जाना
 अपनी ही बनाई कंकरीट की दुनिया से ऊबे लोग
 अपनी शर्म धोने अब कहाँ जाएँ?
 ९ जनवरी २००३ |