| अनुभूति में 
                    अजंता शर्मा की रचनाएँ नई कविताएँ-आओ जन्मदिन मनाएँ
 ढूँढती हूँ
 मेरी दुनिया
 
 कविताओं में-
 तीन हाइकू
 जाने कौन-सी सीता रोई
 ज़िंदगी
 दूरियाँ
 अनुरोध
 अस्तित्व
 उत्प्रेरक
 कौतूहल
 जमाव
 दो छोटी कविताएँ
 पहली बारिश
 प्रतीक्षा
 प्रवाह
 व्यर्थ विषय
 |  | पहली बारिश मुरली की तान पे बौराई राधे की तरहखिंची चली आई हूँ
 बारिश तेरी आहट पे।
 तेरे बूँदों की थपकियों पर थिरकता मन
 जाने कितने जज़्बों को 'हरा' कर लाया है।
 जैसे एक-एक बूँदें तेरी
 ज़मीं को सहलाती हैं
 एक-एक किस्से-कविताएँ
 जो बंद थी भीतर
 फूट जाती हैं।
 तेरे बरसते ही
 जी करता हैं मैं भी बरसूँ
 भेद कुढ़न का वायुमंडल
 बिजली-सी चमकूँ!
 हवाओं में रच जाऊँ
 धूल संग बह जाऊँ
 धो डालूँ हर तपिश
 गगन भेद गूँजूँ।
 बारिश तेरी फुहार जब जब गुदगुदाती है
 मैं जी उठती हूँ
 मेरी आत्मा सिंच जाती है।
 ९ अगस्त २००३ |