| आओ जन्मदिन मनाएँ हैपी बर्थ डे स्वतंत्र भारत.यादों और वादों के छिछले मंच पर
 स्वागत है तुम्हारा।
 देखो न!तुम्हारे स्वागत में
 इस कोने से उस कोने तक
 किस करीने से उलटी लटकी हैं
 हरी नीली नारंगी रंगी हुई
 हिमालय पर्वत शृंखलाओं की झंडियाँ
 सुनो!इन बैलूनों का विस्फोट
 इन गिफ़्ट पैकेटों में कुलबुलाती
 नारों की प्रतिध्वनियाँ।
 आओ!मुँह फुलाओ,
 फूँक की औपचारिकता निभाओ।
 ये साठों मोमबत्तियाँ
 पहले से ही फूँकी हुई हैं।
 अब,केक काटो।
 देखो न!
 सब के सब
 इसी इंतज़ार मे मुँह बाए खड़े हैं
 निगलने के लिए।
 ध्यान रखना!केक पर सजे अपेक्षाओं के थक्के
 जैसे सबके हिस्से मे जाए।
 कोई डर नहीं
 ये आँतें सब पचा लेती हैं. . .
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 . . .सब।
 24 सितंबर 2007 |