| अनुभूति में 
                    अजंता शर्मा की रचनाएँ नई कविताएँ-आओ जन्मदिन मनाएँ
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 कविताओं में-
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 व्यर्थ विषय
 |  | दूरियाँ  मैं चली जाऊँ तो निराश मत होना,जीना ही तो है!
 एक सीधा-सा प्रश्न
 एक अटपटा-सा उत्तर
 अपने अगले पलों में छिपाकर रखूँगी मैं तुम्हें
 और तुम मुझे रखना।
 मौका पाते ही
 उन निधियों के हम सामने रख खोला करेंगे
 उनके रहते ना मेरी रातें स्याह होगी
 ना तुम्हारे दिन तपे हुए
 ये पल ही होगा
 कभी शीतल
 कभी चाँद
 मैं चली जाऊँ तो उदास मत होना कभी
 मुड़कर देखना
 रास्ते में चलते हुए
 मैं खड़ी, हाथ हिलाती नज़र आऊँगी।
 २४ मार्च २००३ |