कहाँ गए
कहाँ गए
अधरों के चटकते गुलाब?
अमलताश शब्दों के
वीणा के स्वर
वाक्यों में निर्झरिणी
गीत की लहर
रोम-रोम संस्फुरित
भाषा अनुभाव्य
गालों पर
अथ से इति
लिखे महाकाव्य
पलकों में प्रश्न
और सैंकड़ों जबाब।
कहाँ गए-
सीप में बँधे-गुथे सागर
बाहों में-
हरसिंगार
दहकते पलाश
छवियों के इंद्रधनुष
रूप के उजास
कंधों पर-
सघन मेघ
अंग-अंग वासंती
जाने क्या कहती-सी
अंगड़ाई ऋतुवंती
प्राप्ति एक बूँद
और तृप्ति बेहिसाब
कहाँ गए?
९ जून २००८
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