प्यार में भी
कहीं
प्यार में भी कहीं कोई धोखा
लगे
क्यों मुझे फूल भी आज काँटा लगे
दे मुझे इस तरह नर्म दिल ऐ
खुदा
जो पराया दर्द भी मुझे अपना लगे
तुझसे कोई नहीं मेरा रिश्ता
मगर
दिल से पूछूँ हूँ तो कोई रिश्ता लगे
तुझसे मिलते रहें, तुझसे
मिलते रहें
हम मिले ही नहीं, फिर भी ऐसा लगे
मेरी आँखों में तू, मेरी
नींदों में तू
तू वही शख़्स है जो कि सपना लगे
उससे मिलते हुए डर रहीं हूँ
'उषा'
मेरा मिलना उसे जाने कैसा लगे
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