अनुभूति में
उषा राजे सक्सेना की रचनाएँ-
कविताओं में
अस्तित्व की पहचान
इंद्रधनुष
तितली उड़ी
पदचिह्न
पुनर्जनम
लंदन का वसंत
सर्मपण
यात्रा का आरंभ
अंजुमन में
जब भी कोई कहानी लिखना
ज़िन्दगी को स्वार्थ का
प्यार में भी कहीं
परिंदा याद का
फ़िज़ाँ का रंग
रात भर काला धुआँ
संकलन में-
ज्योति पर्व-दीपावली
के आलोक में
आशा के दीप
आलोक पर्व
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अस्तित्व की
पहचान मेरे जीवन में
अचानक खुला
तुम एक ऐसा पृष्ठ हो
जो सौ सोपानों से भी अधिक मूर्तिमान है।
तुम ना तो मेरा बीता हुआ कल हो
और न आने वाला कल
तुम सिर्फ़ एक सशक्त वर्तमान
मेरी आत्मा से प्रस्फुटित
वैदिक ऋचाओं-से पवित्र
मेरे अस्तित्व की नई पहचान
अपरिमाणित हो कर भी
एक अनन्य सत्य की भाँति
मेरे प्राण की संजीवनी
सर्वशक्तिमान!
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