लंदन का वसंत
फूल खिले औ' भ्रमर उड़े
वासंती जब हवा चले
डार-डार में कली खिले
गली-गली में गंध उड़े
हरियाली भर-मन मुस्काए
स्नोड्रॉप गर्दन उचकाए
डेफड़िल गलबहियाँ डाले
फोरसाइथ चुनरी फहराए
पोलिएन्थस के रंग निराले
भरे होठ ट्यूलिप मुस्काए
डोरे क्या वसंत ने डाले
सूरज की किरणें दुलराएँ
नन्हें-मुन्ने बच्चे मचले
मम्मा कोट नहीं पहनेंगे
खूब धूप में खेलेंगे!
बदन धूप में सेकेंगे! |