अनुभूति में
उषा राजे सक्सेना की रचनाएँ-
कविताओं में
अस्तित्व की पहचान
इंद्रधनुष
तितली उड़ी
पदचिह्न
पुनर्जनम
लंदन का वसंत
सर्मपण
यात्रा का आरंभ
अंजुमन में
जब भी कोई कहानी लिखना
ज़िन्दगी को स्वार्थ का
प्यार में भी कहीं
परिंदा याद का
फ़िज़ाँ का रंग
रात भर काला धुआँ
संकलन में-
ज्योति पर्व-दीपावली
के आलोक में
आशा के दीप
आलोक पर्व
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पदचिह्न
चलना चाहती हूँ
उन राहों पर
जिन पर कभी तुम चले थे
राहें
पैरों से लिपट जाती है
मैं रुक कर
तुम्हारे पदचिन्ह
तलाशती हूँ
पाती हूँ
मैं ही तो वह पद चिह्न हूँ
जिस पर तुम चले थे...
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