फिज़ा का रंग
फिज़ा का रंग अब बदला हुआ-सा
लगता है
ये सारा शहर ही जलता हुआ-सा लगता है
हरेक शख्स़ यह कहता हुआ-सा
लगता है
लहू का रंग कुछ बदला हुआ-सा लगता है
ये ऐसा दौर है जिसमें कि झूठ
जीत गया
जो आज सच है वो हारा हुआ-सा लगता है
ज़रा ये सोचिये क्या बात है
कि दुनिया में
हर एक आदमी सहमा हुआ-सा लगता है
हर-एक के दिल में कोई धुँध और
धुआँ है 'उषा'
ये कैसा वक्त है जो ठहरा हुआ-सा लगता है
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