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अनुभूति में प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण की
रचनाएँ-

नयी कविताओं में-
अपने को मिटाना सीखो
एक दिन

ये मेरे कामकाजी शब्द

कविताओं में-
उभरूँगा फिर
एक धुन की तलाश
गुज़रे कल के बच्चे
घर लौट रहे बच्चे
चलती है हवा
जापान में पतझर
झरती पत्तियों ने
दिन दिन और दिन

ध्वन्यालेख तन्मयता के
निराला को याद करते हुए
मुक्ति
मौसम
लक्ष्य संधान
वसंत से वसंत
सार्थक है भटकाव

सुनो सुनो

  मौसम

मौसम
स्कार्फ नहीं हैं दोस्त!
कि गले में बांध
सीटियाँ मारते
निकल जाएँ आप
यहाँ से वहाँ
दूर तक -

मौसम आग है पिघलती हुई
फैलती हुई अफवाह है
मौसम धूल है, पानी है
झरता पीलापन और उदासी है
सुबकन है
भूख से बिलखती किसी बच्ची की
या फिर
चोंच में तिनका लिए
बार-बार घौंसला बनाती
चिड़िया की थकान है

वह हमारी पकड़ से दूर है
लेकिन हमसे बाहर नहीं
मौसम,
फैशन नहीं है दोस्त!
हमारी जान है!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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