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अनुभूति में प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण की
रचनाएँ-

नयी कविताओं में-
अपने को मिटाना सीखो
एक दिन

ये मेरे कामकाजी शब्द

कविताओं में-
उभरूँगा फिर
एक धुन की तलाश
गुज़रे कल के बच्चे
घर लौट रहे बच्चे
चलती है हवा
जापान में पतझर
झरती पत्तियों ने
दिन दिन और दिन

ध्वन्यालेख तन्मयता के
निराला को याद करते हुए
मुक्ति
मौसम
लक्ष्य संधान
वसंत से वसंत
सार्थक है भटकाव

सुनो सुनो

  एक धुन की तलाश

एक धुन की तलाश है मुझे
जो ओठों पर नहीं
शिराओं में मचलती है
पिघलने के लिए।

एक आग की तलाश है मुझे
कि मेरा रोम-रोम सीझ उठे,
और मैं तार-तार हो जाऊँ,

कोई मुझे जाली जाली बुन दे
कि मैं पारदर्शी हो जाऊँ।

एक खुशबू की तलाश है मुझे
कि भारहीन हो
हवा में तैर सकूँ।

हल्की बारिश की
महीन बौछारों में काँप सकूँ।

गहराती साँझ के सलेटी आसमान पर
चमकना चाहता हूँ कुछ देर
एक शोख चटक रंग की तलाश है मुझे।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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