एक धुन की तलाश
एक धुन की तलाश है मुझे
जो ओठों पर नहीं
शिराओं में मचलती है
पिघलने के लिए।
एक आग की तलाश है मुझे
कि मेरा रोम-रोम सीझ उठे,
और मैं तार-तार हो जाऊँ,
कोई मुझे जाली जाली बुन दे
कि मैं पारदर्शी हो जाऊँ।
एक खुशबू की तलाश है मुझे
कि भारहीन हो
हवा में तैर सकूँ।
हल्की बारिश की
महीन बौछारों में काँप सकूँ।
गहराती साँझ के सलेटी आसमान पर
चमकना चाहता हूँ कुछ देर
एक शोख चटक रंग की तलाश है मुझे। |