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प्रेम कविताएँ

प्रेम कविताओं से
पता नहीं क्यों
मुझे झुँझलाहट होती है
चिपचिपी बातें
लिजलिजे इरादे
इरादों में छिपे फन्दे
फन्दों में घुटते रिश्ते।
सबको तोड़कर
दो किसी को
खुला आकाश,
ठोस ज़मीन
गुनगुनी धूप
ठंडी बयार
तब मैं समझूँगी
कि यह होता है
प्यार।

१६ अप्रैल २०१२

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