अनुभूति में
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धन्यवाद
जानती हूँ
तुम समझ लोगे
मेरी आँखो की
नमी का मतलब,
मेरे रोयें-रोयें में
पुलक की सिहरन।
सीने पर बँधे हाथ
झुका मस्तक
रुँधा गला
हृदय गद्गद।
मेरी वाणी न कह पाएगी
“धन्यवाद”
बस, यही एक शब्द।
१६ अप्रैल
२०१२
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