अनिल प्रभा कुमार
जन्म- दिल्ली में।
शिक्षा-
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी ऑनर्स और एम.ए. करने के
बाद आगरा विश्वविद्यालय से 'हिंदी के सामाजिक नाटकों में युगबोध'
विषय पर शोध करके पीएच.डी की उपाधि पाई।
कार्यक्षेत्र-
१९६७ से १९७२ तक दिल्ली दूरदर्शन पर हिंदी
'पत्रिका' और 'युवा पीढ़ी' कार्यक्रमों में व्यस्त रही।
१९६७ में 'ज्ञानोदय' के 'नई कलम
विशेषांक' में 'खाली दायरे' कहानी पर प्रथम पुरस्कार पाने पर
लिखने में प्रोत्साहन मिला। कुछ रचनाएँ 'आवेश', 'संचेतना',
'ज्ञानोदय' और 'धर्मयुग' में भी छपीं।
१९७२
में अमरीका में आकर बस गई हूँ। १९८२
तक न्यूयार्क में 'वायस ऑफ अमरीका' की संवाददाता के रूप में काम
किया और फिर अगले सात वर्षों तक 'विजन्यूज़' में तकनीकी संपादक
के रूप में। इस दौर में कविताएँ लिखी। फिर ज़िंदगी के इस तेज़
बहाव में लिखना हाथ से छूटता ही गया।
संप्रति-
विलियम पैट्रसन
यूनिवर्सिटी, न्यूजर्सी में हिंदी भाषा और साहित्य का प्राध्यापन
कर रही हूँ। लगता है फिर से छूटे हुए सिरे हाथ में आ रहे हैं।
संपर्क- aksk414@hotmail.com
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अनुभूति में
अनिल प्रभा कुमार की रचनाएँ—
नई रचनाएँ—
माँ- तीन कविताएँ
छंदमुक्त
में—
अच्छा हुआ
आभार
उम्मीद
जवाब
दूरी
धन्यवाद
धूप
पिरामिड की ममी
प्रेम कविताएँ
बंद आँखें
माँ दर माँ
विमान
साथ
सूर्यास्त
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