अनुभूति में
सुशील कुमार की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
कामरेड की मौत
चाँद की वसीयत
मन का कारोबार
विकल्प
सलीब
छंदमुक्त में-
अनगढ़ पत्थर
आसमानों को रँगने का हक
एक मौत ही साम्यवादी है
गुंजाइशों का दूसरा नाम
बदन पर सिंकती रोटियाँ
बुरका
भूख लत है
रौशनदान
शहर में चाँदनी
हाँफ रही है पूँजी |
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विकल्प
बारूदी सुरंग सा जीवन
तुम्हारे दमनकारी
जूतों के इंतज़ार में
तैयार है विस्फोट के लिए
जिन्दा रहना ही
जब सबसे बड़ा सवाल हो
तब विकल्प हो जाते हैं सीमित
और चुनना पड़ता है
भूख या बन्दूक
चुनना पड़ता है
जिन्दा रहने की चाह में
मौत का एक विकल्प
आत्महत्या
या मुठभेड़
१ नवंबर २०१७
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