अनुभूति में
सुशील कुमार की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
कामरेड की मौत
चाँद की वसीयत
मन का कारोबार
विकल्प
सलीब
छंदमुक्त में-
अनगढ़ पत्थर
आसमानों को रँगने का हक
एक मौत ही साम्यवादी है
गुंजाइशों का दूसरा नाम
बदन पर सिंकती रोटियाँ
बुरका
भूख लत है
रौशनदान
शहर में चाँदनी
हाँफ रही है पूँजी |
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कॉमरेड की मौत
आज लाल चौक पर
चुपचाप सोया है
अक्टूबर क्रांति का शेर
तटस्थ है
प्रतिवाद नहीं करता
क्रांति की बातें भी नहीं
इस तरह हो जाती है
एक कॉमरेड की मौत
जब वह
चुप रहता है
तटस्थ रहता है
प्रतिवाद नहीं करता
क्रांति की बातें भी नहीं
१ नवंबर २०१७ |