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मन का कारोबार

मन के कारोबार में
प्यार की पूँजी
दाँव पर होती है
कोई बही-खाता नहीं होता
इसलिये
तुम्हारी शर्तें सूद की तरह
चढ़ती गयीं मुझपर
जिसे चुकाते-चुकाते
अपने मूलधन को
खो रहा हूँ
तमाम
मजबूरियों के बावजूद
मैं कारोबारी हो रहा हूँ

१ नवंबर २०१७
 

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