अनुभूति में अभिज्ञात की रचनाएँ-
नए गीतों में- कुशलता है भटक गया तो वह हथेली क्षण का विछोह क्षतिपूर्तियाँ
अंजुमन में - आइना होता तराशा उसने दरमियाँ रुक जाओ वो रात सँवारा होता सिलसिला रखिए पा नहीं सकते
कविताओं में - अदृश्य दुभाषिया आवारा हवाओं के खिलाफ़ चुपचाप शब्द पहाड़ नहीं तोड़ते तुमसे हवाले गणितज्ञों के होने सा होना
गीतों में - अब नहीं हो असमय आए इक तेरी चाहत में उमर में डूब जाओ एकांतवास तपन न होती तुम चाहो प्रीत भरी हो मन अजंता मीरा हो पाती मुझको पुकार रिमझिम जैसी लाज ना रहे संकलन में - प्रेमगीत-आख़िरी हिलोर तक गुच्छे भर अमलतास-धूप
रुक जाओ
तीरगी का है सफ़र रुक जाओ बोले अनबोले हैं डर रुक जाओ
तुम्हारे पास वक़्त कम हो तो ले लो तुम मेरी उमर रुक जाओ
हर ओर दुकाने ही दुकानें हैं कोई मिल जाए जो घर रुक जाओ
जश्न में उस तरफ़ क्यों बिखरें हैं किसी नन्हे परिंदे के पर रुक जाओ
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है