अनुभूति में अभिज्ञात की रचनाएँ-
नए गीतों में- कुशलता है भटक गया तो वह हथेली क्षण का विछोह क्षतिपूर्तियाँ
अंजुमन में - आइना होता तराशा उसने दरमियाँ रुक जाओ वो रात सँवारा होता सिलसिला रखिए पा नहीं सकते
कविताओं में - अदृश्य दुभाषिया आवारा हवाओं के खिलाफ़ चुपचाप शब्द पहाड़ नहीं तोड़ते तुमसे हवाले गणितज्ञों के होने सा होना
गीतों में - अब नहीं हो असमय आए इक तेरी चाहत में उमर में डूब जाओ एकांतवास तपन न होती तुम चाहो प्रीत भरी हो मन अजंता मीरा हो पाती मुझको पुकार रिमझिम जैसी लाज ना रहे संकलन में - प्रेमगीत-आख़िरी हिलोर तक गुच्छे भर अमलतास-धूप
पा नहीं सकते
दूर हम तुमसे जा नहीं सकते शर्त ये भी है पा नही सकते
किसी को अपने आँसुओं का सबब लाख चाहे बता नहीं सकते
जिस पे लिक्खी है इबारत कोई हम वो दीवार ढा नही सकते
उसको रिश्तों से है नफ़रत शायद कोई रिश्ता बना नहीं सकते
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