उजाले तीरगी में
उजाले तीरगी में ढल गए हैं
दिये तो शाम से जल गए हैं
चराग़ों की हिफ़ाज़त कर रहा हूँ
भले ही हाथ मेरे जल गए हैं
हमें हर रास्ता पहचानता है
जहाँ भी हम गए पैदल गए हैं
जहाँ जाना नहीं था तो नहीं था
जहाँ जाना था सर के बल गए हैं
कोई हहलचल नहीं है आसमाँ पर
न जाने किस तरफ़ बादल गए हैं
बड़ी उम्मीद थी जिन फ़ैसलों से
वो सारे फ़ैसले फिर टल गए हैं
३ नवंबर २०१४
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