नहीं होती
इसलिए कि सीरत ही एक सी
नहीं होती।
आग और पानी में दोस्ती नहीं होती।
आजकल चराग़ों से घर जलाए जाते हैं,
आजकल चराग़ो से रोशनी नहीं होती।
कोई चाहे जो समझे ये तो खोट है मुझमें,
मुझसे इन अँधेरों की आरती नहीं होती।
मुश्किलों का हिम्मत से सामना नहीं होता,
चैन से बसर उसकी ज़िंदगी नहीं होती।
कोई मेरी ग़ज़लों को आसरा नहीं देता,
सोच में अगर मेरे सादगी नहीं होती।
हाल-चाल मैं अपने क्या बताऊँ कैसा हूँ,
मेरी मुझसे फुरसत में बात ही नहीं होती।
१ अप्रैल २००६
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