तूफ़ानों की
हिम्मत
तूफानों की हिम्मत
आँधी का रुझान देखा,
क्या तुमने मौसम का ये ताज़ा बयान देखा।
सूरज की नीयत पर क्या सन्देह करे कोई,
लेकिन तुमने आज सुबह का आसमान देखा।
मौलिक अधिकारों वाले पन्ने ही गायब हैं,
क्या तुम लोगों ने संशोधित संविधान देखा।
नैतिकताएँ शोकेसों में बन्द मिली हमको,
मकराना के फ़र्शोवाला जो मकान देखा।
खुशबूवाले फूलों के कुम्हलाए से पौधे
डर लगता है जबसे इनका वर्तमान देखा।
इनकी बातें, इनके सपने, इनकी बेचैनी,
खोया-खोया सा देखा जो नौजवान देखा।
६ जुलाई २००९
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