| मत पूछिए मत पूछिए कि कैसे सफ़र काट रहे हैंहर साँस एक सज़ा है मगर काट रहे हैं
 ख़ामोश आसमान के साये में बार-बारहम अपनी तमन्नाओं का सर काट रहे हैं
 कमज़ोर छत से आज भी एक ईंट गिरी हैकुछ लोग हैं कि फिर भी गदर काट रहे हैं
 आधी हमारी जीभ तो दाँतों ने काट लीबाकी बची को मौन अधर काट रहे हैं
 दो चार हादसों से ही अख़बार भर गएहम अपनी उदासी की ख़बर काट रहे हैं
 हर गाँव पूछता है मुसाफ़िर को रोक करहमने सुना है हमको नगर काट रहे हैं
 इतनी ज़हर से दोस्ती गहरी हुई कि हमओझा के मंत्र का ही असर काट रहे हैं
 कुछ इस तरह के हमको मिले हैं बहेलियेजो हमको उड़ाते हैं न पर काट रहे हैं
 
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