| बीती नहीं है रात 
 बीती नहीं है रात ज़रा और बात करहोगा नया प्रभात ज़रा और बात कर
 बातें रुकीं तो नींद उतरती है आँख में होती है वारदात ज़रा और बात कर
 
 सुनने को तुझे आज फिर उठ कर खड़ी हुई
 यह सारी कायनात ज़रा और बात कर
 अब ज़िंदगी की मौत से बाहर निकल के आमिल जाएगी हयात ज़रा और बात कर
 चर्खे पै बर्फ़ कात रहे हैं यहाँ के लोगतू इंकलाब कात ज़रा और बात कर
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