| खुद को नज़र के सामने
 खुद को नज़र के सामने ला कर ग़ज़ल कहोइस दिल में कोई दर्द बिठा कर गज़ल कहो
 अब तक तो तुमने मैक़दों पै ही ग़ज़ल कहीहोंठों से अब यह जाम हटा कर गज़ल कहो
 दिन में भी दूर-दूर तलक रोशनी नहीं अब तुम ही अपने दिल को जला कर गज़ल कहो
 
 पूरी ही ग़ज़ल दिल की इबादत है दोस्तों!
 अश्कों में ज़रा तुम भी नहा कर गज़ल कहो
 
 दिल में न अगर आए तुम्हारे कोई 'कुंअर'
 तो तुम ही किसी के दिल में समा कर ग़ज़ल कहो
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