| दोनों ही पक्ष  
 दोनों ही पक्ष आए हैं तैयारियों के साथ
 हम गरदनों के साथ है वो आरियों के साथ
 
 बोया न कुछ भी ओर फ़सल ढूँढ़ते हैं लोग
 कैसा मज़ाक चल रहा है क्यारियों के साथ
 तुम ही कहो कि किस तरह उसको चुराऊँ मैंपानी की एक बूँद है चिनगारियों के साथ
 सेहत हमारी ठीक रहे भी तो किस तरहआते हैं घर हक़ीम भी बीमारियों के साथ
 कुछ रोज़ से मैं देख रहा हूँ कि हर सुबहउठती है एक कराह भी किलकारियों के साथ
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