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अनुभूति में अश्विनी कुमार विष्णु की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
ऊँचाई
घर
जलस्तर
थकन
वन देवता

हाइकु में-
बारह हाइकु मौसम के नाम

गीतों में-
चंदा मामा रहो न अब यों
चलना पथ पाना है

तटबन्धों-का टूटना
मन की पहरेदारी में

मेघ से कह दो

अंजुमन में-
टूटे-फूटे घर में
फ़ुर्सत मिले तो
बिना मौसम
शहर में

संकलन में-
नयनन में नंदलाल- प्रभुकुंज बिहारी
नया साल- नया क्या साल में है
ममतामयी- जय अम्बिके
विजयपर्वी- आशाएँ फलने को विजयपर्व कहता चल
         पिंजरे का तोता
होली है- फागुन की पहली पगचाप

हरसिंगार- मन हरसिंगार

 

घर

घर
जब सपना होता है
उसकी खिड़की से
झाँक रहा होता है चाँद

घर
जब बन जाता है हक़ीक़त
उसकी छत में छपे सीप-शंखों से
बतिया रहा होता है चाँद

किरणों के पाँव छूकर
उड़ना सीख रही ख़ुशबू
मानो बड़ी होगी उसी घर में
अजब सुर्ख-से एहसास में
सोने-जागने लगती हैं रातें


घर
तो घर है
मन में सदा के लिए
घर कर लेती हैं
घर की बातें

२० जुलाई २०१५
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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