अनुभूति में अश्विनी
कुमार विष्णु
की रचनाएँ—
हाइकु में-
बारह हाइकु मौसम के नाम
गीतों में-
चंदा मामा
रहो न अब यों
चलना पथ पाना है
तटबन्धों-का टूटना
मन की पहरेदारी में
मेघ से कह दो
अंजुमन में-
टूटे-फूटे घर में
फ़ुर्सत मिले तो
बिना मौसम
शहर में
संकलन में-
नयनन में नंदलाल-
प्रभुकुंज बिहारी
नया साल-
नया क्या साल में है
ममतामयी-
जय अम्बिके
विजयपर्वी-
आशाएँ फलने को विजयपर्व कहता चल
पिंजरे का तोता
होली है-
फागुन की पहली पगचाप
हरसिंगार-
मन हरसिंगार
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बारह हाइकु मौसम
के नाम
उड़ आये हैं
तीतर पंखी मेघ
झूमे कानन
तपती लूएँ
मन करे पकड़ें
उड़ती छाहें
सुबह खिली
मालिन गूँथ रही
नए सपने
चमचम है
चनारों पर बर्फ
धूप ओझल
डरा रही हैं
अपनी ही आहटें
घुप्प जंगल
खुली खिड़की
भीतर चली आई
उड़ती बर्फ
सुन रही है
फूलों की बातें ओस
ठहरी हवा
ठिठकीं, मिलीं
पीर के पुल पर
हँस दीं आँखें
चुराया चाँद
यहाँ वहाँ, छिपता
फिरे अँधेरा
पी रही हवा
फूलों के बीच बैठ
मोह के घूँट
रखी तुमने
तिपाई पर चाय
पिघली यादें
कर भू पर
सर्वस्व निछावर
निखरा मेघ
१६ दिसंबर २०१३
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