पिंजरे का तोता
राम सुमिरन कर रहा
पिंजरे का तोता !
जो गुना सीखा
सभी से वही बोले
स्वप्न के नभ में
विचरता पाँख खोले
संत-सा अपनी ही धुन
संझा-सकारे
मधुर स्वर में
नाम रघुवर का उचारे
धन्य जीवन कर रहा
पिंजरे का तोता !
भूख-भर चुग्गा मिला
जय राम जी की
प्यास-भर पानी मिला
जय राम जी की
किन्तु बंधन सुख नहीं
नित कष्टदायक
पक्षिकुल से दूर
यह वनवास दाहक
मुक्ति साधन कर रहा
पिंजरे का तोता !
-- अश्विनी कुमार विष्णु |