जय अम्बिके
जगदम्बिके
तुमको नमन
शत-शत नमन
हे सर्वमंगलकारिणी
पल-पल तुम्हारा ध्यान हो
कल्याणदायक सिद्धि का
संकल्प दो
वरदान दो
निष्फल रहें बाधाओं के
छल-पेंच सब सारे जतन
जय अम्बिके
जगदम्बिके
तुमको नमन
शत-शत नमन
रचते रहें षडयंत्र जो
कपटी-कुटिल खल हैं जहाँ-
यश पाएँ सब सत्कर्म-
होवें दर्प
उनके चूर माँ
आशीष दो हमको सदा
भाए तुम्हारा ही भजन
जय अम्बिके
जगदम्बिके
तुमको नमन
शत-शत नमन
पावन रहें मन-वचन से
शुचिता भरा व्यवहार हो
नव-कंज सा नव कुंद-सा
खिलता हुआ
संसार हो
कात्यायनी रुद्रायणी
पूरन करो मन की लगन !
जय अम्बिके जगदम्बिके
तुमको नमन
शत-शत नमन
-अश्विनी कुमार विष्णु
३० सितंबर २०१३ |