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सूत्र
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संकलन में-
गुच्छे भर अमलतास-
हवाई

  ऋषिकेश

मेरी धरती पर
जो भी श्रेष्ठ था
सुंदरम, हरीतिम और सुकुमार था
कर्ज़ है उस पर
आश्रमों का
बिजली नायलान और प्लास्टिक से आभूषित
मंदिरों का
कानों को बेधते
नसों में तड़कते, आँखों को छीलते
पत्थर बरसाते
नूतन
धमाधम संगीत का
मेरा आराध्य खोजता है आश्रय
स्वेच्छा शांति से मंडित
एकाग्र एकांत
बारिश से धुली अनछुई हरियाली
निडर कुलांचता
चहकता
महकता
जीव जगत!

मेरी प्रार्थना चुप है
मेरी भावना संत्रस्त
मैं आराधना कहाँ करूँ?

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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