हिमपात
जिस अंधी तेज़ी से
बर्फ़ की कनियाँ झपट रही थीं
लगा
उन्हें कहीं पहुँचने की बहुत जल्दी थी
अगले ही पल
जा दे सिर मारा
ज़मीन पर
मेरे ही पैर तले रौंदी गईं
दफ्न हुई मट्टी में
मैंने आसमान की ओर सिर उठाया
देखा
कहा - इसीलिए दौड़ रही थीं
और अपने हाथों की बँधी मुठि्ठयाँ
ढ़ीली छोड़ दीं।
बर्फ़ की हर कनी
फिर भी तनी रही
उसी तेज़ी से दौड़ती रही
ज़मीन पर पटक कर फूटती रही
और यों ही दफ्न होती रही।
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