अनुभूति में
डॉ. सुषम
बेदी की रचनाएँ-
नई रचनाएँ-
अस्पताल का कमरा
उम्र के मानदंड
कलियुग की दोस्तियाँ
घर- दो कविताएँ
जंगल- दो कविताएँ
बसंत के खेल
फूलों का राज्य
कविताओं में -
अतीत
का अंधेरा
ऋषिकेश
औरत
घर और
बग़ीचा
पीढ़ियाँ
माँ की गंध
सूत्र
हिमपात
हुजूम
संकलन में-
गुच्छे भर अमलतास-
हवाई
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पीढ़ियाँ
एक गंध थी माँ की गोद की
एक गंध थी माँ की रचना की
एक गंध बीमार बिस्तर पर
माँ की झुर्रियों, दवा की शीशियों की
टिंचर फिनायल में रपटी
सहमी अस्पताल हवा की
या डूबे-डूबे
या कभी तेज़ कदमों से बढ़ते
अतीत हो जाने की
एक गंध है माँ के गर्भ में
दबी शंकाओं की
कली के फूटने और नियति के वज्रपात की
झुलसी घुंघराली, धुआँ-सी गंध
कैसी गंध है यह मेरे आसपास
मज़ार की मिट्टी की सोंधी महक
तने हुए पौधे की इठलाती गमक
या खिलते हुए फूल की चहकती लहक
सब मुझमें माँ और
बिटिया बन समा गईं।
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