अनुभूति में
डॉ. सुषम
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कविताओं में -
अतीत
का अंधेरा
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औरत
घर और
बग़ीचा
पीढ़ियाँ
माँ की गंध
सूत्र
हिमपात
हुजूम
संकलन में-
गुच्छे भर अमलतास-
हवाई
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अतीत का अंधेरा
और उदास हो जाता है वर्तमान
जब अतीत भावी पर हावी हो जाता है
गुज़रा हुआ विस्मृत बन कर
जो लौट चुका था
भावी का प्रतीक बन कर स्थापित हो जाता है
आस्थाओं की भूमि पर
गढ़ों से निकले बरसाती
कीड़ों की तरह
भूले हुए दर्द भरे हुए घाव
फिर से बिसूर पड़ते हैं
छा देते हैं, कामनाओं का संसार
और दूभर हो जाता है जीना
जब जीने के सारे हथियार
आकांक्षाओं के जंग से
जख्म़ी और कुड़े हो जाते हैं
भविष्य पर चढ़ आता है
अतीत का अंधेरा
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