अनुभूति में
डॉ. सुषम
बेदी की रचनाएँ-
नई रचनाएँ-
अस्पताल का कमरा
उम्र के मानदंड
कलियुग की दोस्तियाँ
घर- दो कविताएँ
जंगल- दो कविताएँ
बसंत के खेल
फूलों का राज्य
कविताओं में -
अतीत
का अंधेरा
ऋषिकेश
औरत
घर और
बग़ीचा
पीढ़ियाँ
माँ की गंध
सूत्र
हिमपात
हुजूम
संकलन में-
गुच्छे भर अमलतास-
हवाई
|
|
अस्पताल का
कमरा
वह आती है
बड़ी मुस्तैदी से
झटपट
फटाफट
नापती है रक्तचाप,
देखती है दिल की धड़कन
बूँद बूँद नाड़ियों में घुलते
द्रव्य की गति,
लेकिन
वह मुझे नहीं देखती
मेरी आँखों में
फिर ओठों में
होती है
धीमी-सी हरकत
मैं उससे कुछ कहना चाहती हूँ
पर वह उसी फुर्ती से चल देती है
अगली मशीन के कलपुरजे जाँचने।
५ मई २००८ |