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सपने

कितने बड़े होते हैं-सपने
और कितनी
बौनी-विवशताएँ  .

सपने गीले-कपड़ो से
अलमारी में टँगे-टँगे  अपनी ही सीलन में
उनींदे-उनींदे दम-तोड़ देतें हैं।

छोटी-छोटी विवशताएँ
विषैले -झबरैले साँप बन कर
डस जाती हैं सपने  ....
चुपचाप ।

१५ मार्च २०१७

 

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