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कटोरा

तुम्हारी रसवंती भाव-भीनी मृदु-मनोहर
सतरंगी मधुमास सी -छवि
छल गई एक दिन मेरा-सारा स्वत्व
मेरा देह शास्त्र मूर्छित कर गई
समवेत वाचा-कर्मणा
लील गई मेरा असितत्व
लूट पीट कर तुम ने-खाली
ठनके कटोरे सा
सड़क पर - उड़ेल दिया

आज मैं एक लुटा-पिटा
खाली कटोरा हूँ  .. .

१५ मार्च २०१७




 

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