अनुभूति में
डा. सुदर्शन प्रियदर्शिनी
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कटोरा
तुम्हारी रसवंती भाव-भीनी मृदु-मनोहर
सतरंगी मधुमास सी -छवि
छल गई एक दिन मेरा-सारा स्वत्व
मेरा देह शास्त्र मूर्छित कर गई
समवेत वाचा-कर्मणा
लील गई मेरा असितत्व
लूट पीट कर तुम ने-खाली
ठनके कटोरे सा
सड़क पर - उड़ेल दिया
आज मैं एक लुटा-पिटा
खाली कटोरा हूँ .. .
१५ मार्च २०१७
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