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प्रतीक्षा
कोट की जेब में मेरी
अंगुलियाँ मुट्ठी में अब भी तनी हैं,
तुम्हारी अँगुलियों की अब भी
प्रतीक्षा कर रही हैं।
तुमने मेरी मुट्ठी को अपनी
अपनी मुट्ठी में समाया था,
जकड़ी हुई बेलों को फिर से सुलझाया था,
भूल गए तुम आज,
तुम्हारी अंगुलियाँ भी तनी हैं मुट्ठी में।
२४ सितंबर २००७
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