अनुभूति में रजनी भार्गव की रचनाएँ — हाइकु में- सर्दी की धूप
छंदमुक्त में- अनसुनी आवाज़ गरमी की एक दोपहर घर धूप प्रतीक्षा बसंत मेरी कहानी मौन प्रतीक लहरों का गाँव सीमित दायरे
संकलन में- जग का मेली- जुगनू नया साल- नव वर्ष के कोरे पन्नों पर वर्षा मंगल- बचपन का सावन वसंती हवा- बासंती सपने होली है- होली कुछ चित्र
मौन प्रतीक
साँझ के रंगों में उदय होता वो पहला तारा, मेरी आँखों में तैर रहा था, रात भर सपनों में गूँथा, सुबह आँख के कोरों से बह गया था, सिरहाने सिर्फ़ उसका अहसास था, भूलते हुए स्वप्न का वह मौन प्रतीक था।
२४ सितंबर २००७
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