जुगनू
मुन्ने ने देखा एक जुगनू
सरपट भागा पकड़ा जुगनू
मुठ्ठी खोली पकड़ा जुगनू
चमका और बुझा वो जुगनू
ख़त्म हुई जिज्ञासा उसकी
मुठ्ठी खोली छोड़ा जुगनू
जगमग जगमग भागा जुगनू
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रजनी भार्गव
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टिड्डा-गाना-सुना-रहा-है
मूली के पत्ते पर बैठा,
टिड्डा गाना सुना रहा है!
चाट-चाटकर ओस रसीली,
काट-काटकर पत्ती गीली!
“आओ, तुम भी करो नाश्ता,”
कहकर सबको बुला रहा है!
“मैं फूलों का रस पीती हूँ,”
यह कहकर जो उड़ी सुर्र से,
उस तितली को मुँह टेढ़ाकर,
गाते-गाते चिढ़ा रहा है!
--रावेंद्रकुमार रवि |
मधुमक्खी
गुन गुन गुन गुम
मधुमक्खी
नन्हीं बी अल्लारक्खी
जब तुम ब्याही जाओगी
हमको नहीं बुलाओगी
-अज्ञात |